प्यासी रूह (कहानी)प्रतियोगिता हेतु 05-Jun-2024
प्यासी रुह (कहानी) प्रतियोगिता हेतु
रात अपने पूरे परवान पर थी। रीचा अपने कमरे में सुकून की नींद सो रही थी। तभी रात के 2:00 बजे किसी की सिसकारियों से अचानक उसकी नींद खुली।जब उसने उन सिसकियों पर ध्यान दिया तो उसे समझ आया कि सिसकी उसके कमरे के बाहर खिड़की के पास से आ रही है। जब उसने खिड़की के बाहर झांँककर देखा तो ऐसा ऐसा प्रतीत हुआ मानो कोई औरत आंँचल से अपने बच्चों को ढककर दूध पिला रही है और रो रही है। उसके दिमाग में आया कि वह उससे पूछे कि वह यहांँ इतनी रात में अंँधेरे में बैठकर क्यों रो रही है? किंतु किसी अनहोनी के डर से ऐसा ना कर सकी और खिड़की बंदकर सोने का प्रयास करने लगी।
लेकिन उसका मन उस औरत के रोने का कारण जानने के लिए व्यग्र होने लगा और वह कमरा खोलकर बाहर गई।बाहर उस औरत के पास जाकर उसके सर पर हाथ फिराते हुए पूछी आप क्यों हो रही हैं? उसके इस तरह हाथ फिराने पर उस औरत ने उसकी तरफ़ मुड़कर देखा तो उसका क्रोधित और उदास चेहरा देखकर रीचा सिहर उठी। उसका चेहरा देखकर ऐसा लग रहा मानो वह रीचा को जलाकर भस्म कर देगी।
गुस्से से देखते-देखते उसकी आंँखों से ज्वाला निकलने लगी और वह चिल्ला -चिल्ला कर कहने लगी उसने मेरे साथ खेला। मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर दिया। मैंने तो उसे सच्चा प्यार किया था और उसने मेरे जज़्बातों से, मेरे शरीर से, सब कुछ से खेला ऐसा कहते हुएवह औरत दूर जाने लगी। रीचा उसके पीछे जा रही थी और पूछती जा रही थी किसने आपकी ज़िंदगी बर्बाद कर दिया? प्यासी रूहानी के रूप में विद्यमान औरत ने कहा मत पूछ सुन नहीं सकेगी, इसलिए मुझे जाने दे।रीचा ने कहा बताइए मैं सुन सकूँगी।तब उस औरत ने नफ़रत से कहा,आपके पति ने, आपके पति ने मुझसे प्यार का वायदा किया था, हम दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा तभी वो हो गया जो हमें शादी के पहले नहीं करना चाहिए था। जब मैं आपके पति को बताया कि मैं गर्भवती हूँ तो उसने मुझे कुल्टा, वैश्या कहकर छोड़ दिया।जब मेरा बच्चा मेरे पेट में 6 महीने का हो गया तब मेरे घर वालों को शक हुआ और मेरे बच्चे को ख़त्म करवा दिए बच्चे के ख़त्म होने के बाद मैने भी ज़हर खाकर स्वयं म को ख़त्म कर लिया तब से मैं आपके घर के आस-पास भटकती हूंँ और अब यहाँआस-पास में कोई भी माँ नहीं बन सकेगा। मैं किसी के भी बच्चे को सुरक्षित दुनिया में नहीं आने दूंँगी।
रीचा सिहर उठी क्योंकि वह भी एक महीने की गर्भवती थी। उसने उस महिला से अपने पति के द्वारा किए गए नाइंसाफी के लिए माफ़ी मांँगा और गिड़गिड़ा कर कहने लगी कि एक पुरुष के द्वारा किए गए ग़लती का बदला आप पूरी औरतों से मत लीजिए।
माफ़ कर दीजिए, रिचा की इस तरह की बातों को सुनकर उस औरत ने और भी खूंखार रूप ले लिया।
जिससे डरकर रिचा भागते हुए घर के अंदर आई ,खिड़की दरवाज़े सब कुछ बंद करना लगी और अगले दिन सुबह अपने साथ घटित करना के बारे में अपने पति को बताई और अपने पति के विवाह उनके प्रेम के बारे में पूछी। पहले तो रीचा के पति ने मना कर दिया लेकिन जब ठोस सबूत के साथ रीचा ने पति को सारी बातें बताया तब उसने अपनी ग़लती कबूल कर लिया।
अब ऐसी प्यासी रूह से अपने बच्चे को बचाने के लिए रीचा बेचैन हो उठी क्योंकि ऐसी प्यासी रूह से ख़ुद को बचाना बहुत ही मुश्किल होता है। उसने अपना बच्चा खोया है इसलिए वह किसी के भी बच्चे को दुनिया में नहीं आने देगी। ऐसी रूह को काबू करना बहुत कठिन होता है। वह इस समस्या के निदान हेतु उसे एरिया में जाने-माने एक औघड़ बाबा के पास गई। और उनसे अपनी आपबीती बताई तब औघड़ बाबा ने कहा कल रात को मैं आपके घर सोऊंँगा 2:00 बजे रात को जब उस औरत की सिसकियों की आवाज़ आएगी तभी मैं अपना तंत्र साधना शुरू करूंँगा।
योजना अनुसार औघड़ बाबा रीचा के घर सोए। रात के 2:00 बजे जब उस औरत की सिसकियों की आवाज़ आने लगी तब उसके पास जाकर बड़े ही प्यार से उसके सर पर हाथ फिराए। जिससे वह रूह थरथरा कर काँपने लगी। तब औघड़ बाबा ने कहा, तुम एक भली रूह हो यहाँ किसी भी गर्भवती स्त्री को परेशान मत करो। मैं तुम्हें मुक्ति दिला दूंँगा तुम इस स्थान को छोड़कर चली जाओ।
उसने औघड़ बाबा से कहा- बाबा, आप मुझे छोड़ दीजिए आप मेरे अब मेरे बदले के बीच मत आइए, मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है, मैं अपने अपमान का बदला लेना चाहती हूंँ। आप मेरे कार्य के मध्य कोई रोड़ा मत पैदा करिए।
बाबा ने बहुत समझाया, बेटा तुम्हारे साथ ग़लत एक व्यक्ति ने किया है और तुम पूरे व्यक्तियों के साथ ग़लत करने की बात कर रही हो यह ठीक नहीं है। लेकन वह औरत औघड़ बाबा की कोई बात मानने को तैयार नहीं थी तब औघड़ बाबा पूजा करना शुरू कर दिए उनकी पूजा को देखकर वह औरत और भी भागने लगी, चीखने-चिल्लाने लगी, छोड़ दे मुझे छोड़ दे मुझे मेरे कार्य को करने दे और औघड़ बाबा कहे जा रहे थे नहीं यह पाप है तुम क्यों अपने आपको और भी पाप का भागी बनाना चाहती हो ऐसा कहते कहते बाबा उस औरत को एक डिब्बे के अंदर कैद कर लिए और डिब्बे को हवन कुंड में डालकर जलाकर भस्म कर दिए उस डिब्बे के जलते ही एक सफ़ेद लौ ख़ुशबू फैलाती हुई आकाश में जाकर विलुप्त हो गई और इस तरह औघड़ बाबा ने रीचा सहित वहाँ की सभी औरतों को उस प्यासी रूह के क्रोध से निजात दिलाया।
आज किशोरावस्था में आते हैं बच्चों के ऊपर प्यार का भूत चढ़ जा रहा है और यह प्यार का भूत चढ़ते ही बच्चे कुछ ही समय में वो गलती कर बैठ रहे हैं जो उन्हें किसी भी कीमत पर नहीं करना चाहिए। इस ग़लती का ही परिणाम है कि आज तमाम भ्रूण हत्या कुंँवारी बच्चियों के द्वारा कराए जा रहे हैं। मैं इस कहानी के माध्यम से उन किशोर बच्चियों और बच्चों को यह संदेश देना चाहती हूंँ कि हूँ वो इस प्यार के आँधी से अपने आप को बचाएँ, अपने आप को आत्मनिर्भर बनाएँ। झूठे प्यार में डालकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद न करें क्योंकि प्यार यदि सच्चा तो और कभी भी शारीरिक नहीं होगा और यदि शारीरिक हो गया तो वह प्यार नहीं वासना है, जिसका रास्ता बर्बादी की तरफ़ जाता है।
साधना शाही,वाराणसी
Anjali korde
12-Jun-2024 09:25 AM
V nice
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Aliya khan
06-Jun-2024 07:42 PM
Nice story
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Naresh Sharma "Pachauri"
06-Jun-2024 11:44 AM
अति सुन्दर
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